हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था
पर्यटन
आर्थिक वृद्धि में पर्यटन का योगदान -पर्यटन अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने का एक प्रमुख साधन है तथा राजस्व प्राप्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। यह विविध प्रकार के रोजगारों का जनक है। राज्य सरकार ने पर्यटन विकास के लिए उपयुक्त आधारभूत सुविधाओं की संरचना की है जिनमें नागरिक सुविधाओं का प्रावधान, सडक मार्ग, दूरसंचार तत्र विमानपत्तन, यातायात सुविधाएँ, जलापूर्ति इत्यादि उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके परिणामस्वरूप राज्य में घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों के आगमन में वृद्धि हुई है। वर्ष 2005 में 69.28 लाख भारतीय तथा 2.08 लाख विदेशी पर्यटक हि.प्र. में आये। 2017 में ये बढ़कर 191.31 लाख भारतीय तथा 4.71 लाख विदेशी पर्यटक हो गए। हि.प्र. में पर्यटन आर्थिक विकास का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है। पर्यटन को हि.प. के भविष्य के आर्थिक विकास का प्रमुख स्रोत माना जाता रहा है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (SGDP) में पर्यटन क्षेत्र का वर्तमान में योगदान 6.6% हैं जो कि काफी महत्त्वपूर्ण है। राज्य में पर्यटन गतिविधियों के विकास हेतु आवश्यक सभी आधारभूत संसाधन जैसे भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता, स्वच्छ एवं शीत बातावरण, सुन्दर धागर, पवित्र स्थलों, ऐतिहासिक स्मारकों और स्नेही लोग एवं खूबसूरत वादिया।
हि.प्र. की पर्यटन नीति- (हि.प्र. 2005 की पर्यटन नीति मिशन वक्तव्य-2020 तक पर्यटन को आर्थिक विकास का मुख्य इंजन बनाकर हि.प्र, को विश्व के एक प्रमुख पर्यटन गतव्य के रूप में स्थापित करना। परिचय-
1 पर्यटन दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ रहा उद्योग है। पर्यटन विश्व श्रमिकों का लगभग 11% और विश्व GDP का लगभग 10.2% योगदान देता है।
2. हि.प्र. पहले से ही एक मान्यता प्राप्त पर्यटन स्थल है। पर्यटन राज्य में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या को संबोधित कर सकता तथा रान्य के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक प्रमुख इजन हो सकता है। हि.प्र. को पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता 1864 में शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बाद प्राप्त हो गई थी। डलहौजी, धर्मशाला, कसौली आदि स्थान आजादी से पूर्व पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित हो चुके थे।
3. वर्ष 2004 में 65 लाख पर्यटक हि.प्र. आए जो राज्य की जनसंख्या के बराबर थे। परन्तु असली चुनौती गुणवत्ता पर्यटकों को आकर्षित करने और राज्य में पर्यटकों के ठहरने की सुविधा बढ़ाने की है। मौजूदा पारिस्थितिकी और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना और निजी क्षेत्र को राज्य में पर्यटन संबंधी बुनियादी ढाँचा विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना इस नीति का उद्देश्य है।
4. पर्यटन राज्य CDP में 6% योगदान देता है जो बागवानी क्षेत्र के बराबर है। सावधानीपूर्वक योजना और आधारभूत विकास के साथ वर्ष 2020 तक पर्यटन को CDP में 15% योगदान तक बढ़ाने का लक्ष्य नीति में रखा गया है।
SWOT Analysis (Strength, Weakness, Opportunities, Threats) पर्यटन की मजबूती, कमियाँ, अवसर एवं खतरों का
1. मजबूती-राजनीतिक स्थिरता, अच्छा मौसम, शांतिपूर्ण माहौल, मिलनसार लोग, साक्षरता, भाषा, हर प्रकार के पर्यटन की उपस्थिति (धार्मिक,
2. कमियाँ-वायु रेल लिंक की कमी, कम विदेशी पर्यटक, प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइडों की कमी, पार्किंग एवं होटलों की कमी, बजट की समस्या,वन कानून, भूमि की कमी।
3. अवसर-साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म, हेरिटेज टूरिज्म, धार्मिक पर्यटन, हैल्थ टूरिज्य, फिल्म सूटिंग के लिए प्रमुख गंतव्य।
4. खतरे-सीजन में बड़े पर्यटक स्थलों पर भीड़/अव्यवस्था एवं हड़कंप, बड़े पर्यटक स्थलों पर अवैध एवं अंधाधुंध निर्माण, शहरों में कंक्रीट जंगल, व्यवसायीकरण से पर्यटन के साँस्कृतिक सामाजिक मूल्यों का हास; विभागों में तालमेल की कमी, कूड़ा करकट प्रबंधन एव वेस्ट डिस्पोजल की कमी, पर्यटकों की संख्या बढ़ी परन्तु गुणवत्ता नहीं।
पर्यटन अघोसंरचना (Infrastructure)
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को उच्च प्राथमिकता प्रदान को है। सरकार द्वारा पर्यटन अवासरचना का विकास किया है जिसमें जन उपयोगी सेवाएँ, सहके संशा साधन, इवाई अड्डे, परिवार सुविधाएँ, जलापूर्ति ख नागरिक सुविधाओं का प्रावधान सम्मिलित है। वर्तमान में राज्य में 81,514 बिस्तरों की क्षमता के 2907 होटल विभाग में पंजीकृत है। इसके अतिरिक्त राज्य में होम स्टे योजना के अंतर्गत 7,014 विस्तरों वाली लगभग 1,220 इकाईयाँ भी घजीकृत है।
देने के लिए एशियाई विकास बैंक (ए.टी.वी.) ने पर्यटन अधोसरचना के विकास के लिए .16 मिलियन अमेरिकी राज्य में पर्पल बदामा हाला की वित्तीय सहायता प्रदान को है। चरण-1 के अंतर्गत् 33.00 मिलियन अमेरिकन डालर, की सहायता स्वीकृत की गई है तथा इसकी कार्य सम्मापित की तिथि जा, 2018 रखी गई है। चरण-1 में समुदाय आधारित पर्यटन, राज्य के 5 समूहों (धमेटा, काँगड़ा- परागपुर, चिंतपूर्ण, नैनादेवी और शिमला-सायत) में कार्यान्वित किया गया है. जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कौशल एवं रोजी रोटी से सम्बन्धित प्रशिक्षण प्रदान किये गए और कुल 5,316 प्रतिभागियों (2.822 महिस्सा, 2.494 पुरुष) को प्रशिक्षित किया गया चरण-3 के अंतर्गत् कुल 62.16 मिलियन अमेरिकी डालर की राशि सितम्बर, 2015 में स्वीकृत की गयौ। यह चरण जून 2020 तक पूर्ण किया जाएगा। इसके अतर्गत् कुल 15 नागरिक कार्यों से सम्बन्धित परियोजनाएँ है तथा इसमें से 9 परियोजनाएं आटित की जा चुकी है। तीन परियोजनाएँ जोकि, मसरूर में चट्टान पर का मन्दिर का संरक्षणा और बहाली, पर्यटक सांस्कृतिक केर शिमला (पीटरहॉफ) तथा परम्परागत कला व शिल्प केन्द्र हरोली (ऊना) स्थगित कर दी गई है तथा इसके स्थान पर शिमला विरासत क्षेत्र में बैटनी कैसल के संरक्षण, बहाती व पुनर्वास परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। शेष तीन परियोजनाएँ अभी निविदा चरण में है। चरण-3 में समुदाय आधारित पर्यटन के अंतर्गत् 19 पचायतों का चयन किया गया है जिनमें से 7 पंचायतों में प्रारंभिक प्रशिक्षण शुरु किया जा चुका है इसमें कुल 673 प्रतिभागी भाग ले चुके है।
पर्यटन विभाग की पहल (Initiativel-
'स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत् भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय द्वारा 9,976,05 लाख र के Integrated Development of Himalyan Circuit in हि.प्र. में स्वीकृत किए गए हैं। इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के लिए कुल 14 पर्यटन विकास परियोजनाएँ स्वीकृत हुई हैं।
1• पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग राज्य में पर्यटन संबंधी सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु सार्वजनिक व निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) के आधार पर
अन्तर से बिजली महादेव तक अनुबन्ध करारनामा दिनांक 23.02.2017 को पर्यटन एवं उड्डयन विभाग और M/s Usha Breco के बीच हस्ताक्षरित
2. इसके अतिरिक्त विभाग ने निजी उद्यमियों को पाँच निम्नलिखित स्थान लम्बे समय तक पट्टे पर देने हतु चिन्हित किए हैं- स्थल का नाम बीधा अनुमानित
1. बद्दी, जिला सोलन 371.19
2. झींगरी, जिला मण्डी 60.12
3. शोजा, बन्जार, जिला कुल्लू 2.18
बिलासपुर, जिला बिलासपुर 2.5
5 सुकेती. जिला सिरमौर 596.18
3. पर्यटन को सतत रूप से बढ़ावा देने व पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वर्ष भर प्रिट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया है। पर्यटन सूचना उपलब्ध करवाना पर्यटन विकास के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पर्यटन विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार को प्रचार सामग्री तैयार की जाती है. जिसमें ब्रॉशर, पैम्फलैट, पोस्टा, लोअप इत्यादि शामिल है। देश व विदेश में विभिन्न पर्यटक उत्सवों/मार्ट इत्यादि में भाग लिया जाता है। वर्ष 2017-18 के दौरान पर्यटन विभाग व निगम द्वारा राज्य व राज्य से बाहर 40 से अधिक मेलों य उत्सवों में भाग लिया गया।
4. पर्यटन विभाग द्वारा समय-समय पर बेरोजगार युवाओं के लिए, सामान्य प्रशिक्षणों का आयोजन किया जाता है जैसे-पर्यटन में बुनियादी पाठ्यक्रम,
टैक्सी चालकों, कुलियों दावा कर्मचारियों व मालिकों के लिए औरियनटेशन कार्यक्रम, ट्रैकिंग गाइड पाठ्यक्रम, होमस्टे मालिकों के लिए पाठ्यक्रम, स्की एवं साहसिक प्रशिक्षण इत्यादि वर्ष 2017-18 में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 508 बेरोजगार युवाओं को 7 विषयों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
5• पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने व पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु विभिन उत्सवों का भी आयोजन किया जाता है। विभाग द्वारा पर्यटन
विकास के लिए India Travel Mart (ITM) अमृतसर, लखनऊ, जयपुर और India International Travel Exhibition (LITE) औरंगाबाद और इन्दौर, India International Travel Mart (IITM) बैंगलुरू, चिनई, पुणे, हैदराबाद और कोचीन, Tourism & Travel Fair (TTF) कोलकाता. हैदराबाद, अहमदाबाद और सूरत में भाग लिया गया। विभाग द्वारा पर्यटन विकास के लिए Promotional films व विज्ञापन तैयार किए जा रहे है. जिसमें 20, 10 व 5 मिनट चलचित्र, 60 सेकेन्ड अवधि के व 30 सेकेन्ड अवधि के तीन-तीन विज्ञापन दूरदर्शन के लिए शामिल हैं।
6. होम स्टे योजना-इस योजना के अंतर्गत 787 इकाइयों में 2137 कमरे को मान्यता दी गई है। यह योजना 2008 में शुरू की गई थी। (७)
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HITDC)- हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की स्थापना वर्ष 1972 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। जब से निगम की स्थापना की गई है तब से यह संस्था पर्यटकों के खान-पान रहन-सहन, प्रबंधन तथा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक, चलन तथा प्रमुख घटक के रूप में कार्यरत है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा चालू वित्त वर्ष में 165,00 लाख शुद्ध लाभ अपेक्षित है। HITDC के होटल में महिलाओं को 10% की छूट दी जाती है।
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