हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था
श्रम एवं रोजगार
( Human resource, Skilled)
रोजगार
2011 जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या में 30.05 प्रतिशत मुख्य कामगार, 21.80 प्रतिशत सीमांत कामगार तथा शेष 48.15गैर कामगार थे। कुल कामगारों (मुख्य-सीमाँत) में से 57.93 प्रतिशत काश्तकार, 4.92 प्रतिशत कृषि श्रमिक, 1.65 प्रतिशत गृह उद्योग इत्यादि तथा 35.50 प्रतिशत अन्य गतिविधियों में कार्यरत थे। राज्य में 3 क्षेत्रीय रोजगार कार्यालयों, 9 जिला रोजगार कार्यालयों, 2 विश्वविद्यालयों में रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन केन्द्र और 62 उप-रोजगार कार्यालय, विकलांगों के लिए निदेशालय में एक विशेष रोजगार कार्यालय, एक केन्द्रीय रोजगार कक्ष निदेशालय में जो पूरे प्रदेश के युवाओं को व्यवसायिक एवं रोजगार परामर्श सम्बन्धित जानकारी के साथ-साथ रोजगार बाजार की जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु कार्यरत है। सभी 74 रोजगार कार्यालयों को कम्पयूटराईज किया जा चुका है तथा 71 रोजगार कार्यालय ऑन लाईन हैं बाकि 3 रोजगार कार्यालयों को शीघ्र ही ऑनलाईन किया जा रहा है।
(1) न्यूनतम मजदूरी- हिमाचल प्रदेश सरकार ने न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अंतर्गत् कामगारों को न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के सम्बन्ध में सलाह देने के लिये राज्य न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का गठन किया है। राज्य सरकार ने दिनांक 01.04.2017 से अकुशल कामगारों का वेतन -200 से 210 प्रतिदिन अथवा 6,000 से 6,300 प्रतिमाह, वर्तमान में न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अंतर्गत् सभी 19 अनुसूचित व्यवसायों के लिए निर्धारित कर दिया
(2) रोजगार बाजार सूचना कार्यक्रम- वर्ष 1960 से रोजगार बाजार सूचना कार्यक्रम के अंतर्गत् रोजगार आँकड़े जिला स्तर पर एकत्र किए जा रहे हैं।
प्रदेश में 30.06.2016 तक सार्वजनिक क्षेत्र के कुल कामगारों को संख्या 2,82,464 निजी क्षेत्र में कामगारों की संख्या 1,62,686 और सार्वजनिक क्षेत्र में कुल 4,236 व निजी क्षेत्र में कुल 1,720 उद्यम हैं।
(3) केन्द्रीय रोजगार कक्ष -हिमाचल प्रदेश के निजी क्षेत्र में कार्यरत एवं लगाई जा रही औद्योगिक इकाईयों, संस्थानों के लिए तकनीकी तथा उच्च कुशन कामगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने की दिशा में केन्द्रीय रोजगार कक्ष हमेशा की तरह वर्ष 2017-18 में भी अपनी सेवाएँ अर्पित करता रहा है। केन्द्रीय रोजगार कक्ष निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं को अकुशल कामगारों की मांग हेतु कैम्पस साक्षात्कार करवाता है। इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर 2017 तक केन्द्रीय रोजगार कक्ष के माध्यम से 117 कैम्पस साक्षात्कार करवाये गए, जिसमें से 1,868 आवेदकों की नियुक्तियों की गई है। केन्द्रीय रोजगार कक्ष राज्य भर में रोजगार मेलों आयोजन भी करता है। इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर, 2017 तक विभाग 2 रोजगार मेला का आयोजन कर चुका है जिसमें 1,093 नियुक्तियाँ राज्य के विभिन्न उद्योगों में की गई हैं।
(4) व्यवसायिक मार्गदर्शन- श्रम एवं रोजगार विभाग के अधीन इस समय चार व्यवसायिक मार्गदर्शन केन्द स्थापित हैं जिनमें से एक निदेशालय स्तर पर स्थित है तथा शेष तीन केन्द्र क्षेत्रीय रोजगार कार्यालय मण्डी, शिमला व धर्मशाला में स्थित हैं। इसके अतिरिका दो विश्वविद्यालय रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन ब्यूरो पालमपुर व शिमला में स्थित हैं। इन केन्द्रों द्वारा रोजगार के संदर्भ में आवेदकों को उचित व्यवसायिक मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। प्रदेश में कई शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में व्यावसायिक मार्गदर्शन सबंधी कैम्पों का आयोजन भी किया जाता है। इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर, 2017 तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 121 कैम्प आयोजित किए गए।
(5) विशेष रोजगार कार्यालय (दिव्यांगों हेतु) -सरकार द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार सहायता प्रदान करने हेतु श्रम एवं रोजगार निदेशालय में प्रभारी अधिकारी (स्थापना) के अधीन वर्ष 1976 से विशेष रोजगार कार्यालय (दिव्यांगों हेतु) की स्थापना की गई। यह कक्ष दिव्यांगों को आवेदन करने पर व्यावसायिक मार्गदर्शन तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों में रोजगार दिलवाने में सहायता करता है। समाज के इस कमजोर वर्ग को कई प्रकार की सुविधायें रियायतें दी गई है। जैसे कि मैडिकल बोर्ड द्वारा मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षा, ऊपरी आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट, ऊपरी अगा (हाथ तथा बाजू) अपंगता होने पर टंकण करने की छूट, तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों में 3 प्रतिशत का आरक्षण, महिलाओं के लिए खोले गए। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आई.टी.आई., सिलाई तथा कटाई केन्द्र में 5 प्रतिशत सीटों का आरक्षण तथा 200 रोस्टर प्वाईट में आरक्षण का निर्धारण जो कि पहला. 30वाँ, 73वाँ, 101वाँ, 130चा, 173वां है। (पहला व 101वाँ दृष्टिहीनों के लिए, 30वाँ तथा 130वाँ गूग-बहरों के लिए, 73वाँ तथा 173वाँ लोकोमोटर अपंगता वालों के लिए है)। वर्ष 2017-18 के दौरान दिसम्बर, 2017 तक सक्रिय पंजिका में 1,966 दिव्यांगों को पंजीकृत करके विकलांग पंजीकृतों की संख्या 17,479 हो गई है तथा 31 दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाए गए है।
(6) अमिक कल्याण उपाय -बन्धुआ मजदूर प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम-1976 के अंतर्गत राज्य सरकार ने जिला सतर्कता समितियाँ तथा उप-मण्डल सतर्कता समितियों का गठन, बन्धुआ मजदूर प्रणाली के कार्यान्वयन एवं मॉनिटरिंग के हेतु किया है। बन्धुआ मजदूर प्रणाली तथा अन्य सम्बन्धित अधिनियमों पर स्टैंडिंग कमेटी ऑन एक्सपर्ट नप की रिपोर्ट पर आधारित राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है। राज्य सरकार ने औद्योगिक झगड़े निपटाने के लिए दो श्रम न्यायालय एवं औद्योगिक न्याय प्राधिकरण स्थापित किये है जिसमें से एक का मुख्यालय शिमला में है, जिसका कार्य क्षेत्र जिला शिमला, किन्नौर, सोलन व सिरमौर है तथा दूसराधर्मशाला में है, जिसका कार्य क्षेत्र जिला काँगड़ा, बम्बा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, मण्डी, कुल्लू एवं लाहौल-स्पीति है। श्रम न्यायालयों एवं औद्योगिक अधिकरणों के पीठासीन अधिकारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के नियुक्त किये गए हैं।
(7) कर्मचारी भविष्य निधि एवं बीमा योजना- राज्य कर्मचारी बीमा योजना सोलन, परवाणु, बरोटीवाला, नालागढ़, बद्दी जिला सोलन, मैहतपुर, गगरेट,
बाधरी जिला ना, पाँवटा साहिब, काला अम्ब जिला सिरमौर, गोलथाई जिला बिलासपुर, मण्डी, रती, नैर चौक, भंगरोटू, चक्कर व गुटकर, जिला मण्डी, औद्योगिक क्षेत्र शोधी व शिमला नगर-निगम क्षेत्र जिला शिमला में लागू हैं। लगभग 7,495 संस्थानों में 2,86,390 बीमा कामगार/कर्मचारी इस योजना के अंतर्गत दिनांक 31.12.2017 तक पंजीकृत किए गए हैं। कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम के अंतर्गत् दिनांक 31.12.2017 तक 15,425 संस्थानों में कार्यरत 2,95,048 (अनुमानित) कामगारों को इसके अंतर्गत् लाया गया।
(8) औद्योगिक सम्बन्ध- प्रदेश में औद्योगिक सम्बन्धों की समस्या को औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ने के कारण पर्याप्त महत्त्व दिया गया है। प्रदेश में
समझौता तन्त्र विभाग के अधीन कार्यरत है तथा औद्योगिक विवादों के समाधान, औद्योगिक शान्ति बनाने, समन्वय और उत्पादकता बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण एजेंसी साबित हुई है। समझौता तंत्र के अंतर्गत विभिन्न कार्य संयुक्त श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त, तथा श्रम अधिकारियों व श्रम निरीक्षकों को उनके कार्य क्षेत्र के अनुसार सौंपे गए हैं। यदि निचले स्तर पर समझौता करवाने में यह प्रक्रिया असफल हो जाती है तो निदेशालय स्तर पर उच्च अधिकारियों द्वारा उस प्रकार के विवादों/मामलों में हस्तक्षेप किया जाता है।
(9) भवन व अन्य सन्निर्माण कामगार (नियोजन तथा सेवा शर्तों का विनियम) अधिनियम- 1996 व उपकर अधिनियम-1996-हिमाचल प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड का इस अधिनियम के अंतर्गत् गठन किया गया है और बोर्ड उन भवन एवं सन्निर्माण कामगारों जोकि बोर्ड में लाभार्थी के रूप में पंजीकृत है के लिए कल्याणकारी योजना कार्यान्वित कर रहा है। जैसे कि मातृत्व पैतृत्व लाभ, सेवानिवृत्ति पैशन, पारिवारिक पैशन, दिव्यांग पैंशन, चिकित्सा सहायता, शिक्षा हेतु वित्तीय सहायता, स्वयं व दो बच्चों तक की शादी हेतु आर्थिक सहायता, कौशल विकास भत्ता, औजार खरीदने के लिए त्राण, भवन निर्माणा /खरीद हेतु ऋण का प्रावधान, मृत्यु व दाह संस्कार सहायता। ऐसे संस्थान जहाँ पर 300 से अधिक भवन एवं सन्निर्माण कामगार कार्यरत हो, वहाँ पर बोर्ड ट्रांजिट हॉस्टल निर्माण किराये पर ले सकता है। दुलहैड़ जिला ऊना तथा जिल्ला सोलन के अनसोत ( नालागढ़) में ट्रांजिट हॉस्टल का निर्माण कर दिया गया है तथा कामगारों की सुविधा के लिए उक्त भवन प्रयोग में लाये जायेंगे। इसके अतिरिक्त जिला पलकवाह-खास, जिला ऊना में कामगारों को व उनके आश्रितों को प्रशिक्षण हेतु कौशल विकास संस्थान का निर्माण 15.69 करोड़ ₹ की अनुमानित लागत से निर्माणाधीन है। बोर्ड भवन एवं सन्निर्माण कामगारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और जनश्री बीमा योजना के अंतर्गत् भी लाया जाता है, जो भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार बोर्ड के साथ पंजीकृत होंगे। दिनांक 31.12.2017 तक 1,938 संस्थान 1,29,599 लाभार्थी पंजीकृत किये गए हैं तथा 1,53,028 लाभार्थियों को 71.27 करोड़ र की राशि बोर्ड द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत् बाँटी गयी है और लगभग 394.38 करोड़ र की धनराशि हि.प्र. भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के पास जमा हुई है।
(10) कौशल विकास भत्ता योजना- कौशल विकास भत्ता योजना के अंतर्गत् वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 100.00 करोड़ र का प्रावधान रखा गया है। योजना के अंतर्गत् हिमाचल प्रदेश के पात्र बेरोजगार युवाओं को उनके कौशल विकास हेतु भत्ते का प्रावधान है ताकि उनकी कौशल विकास व रोजगार प्राप्त करने की क्षमता बढ़ सके। यह भत्ता 1,000 प्रतिमाह व 50 प्रतिशत या इसके अधिक, स्थायी दिव्यांग आवेदकों को 1,500 प्रति माह की दर से कौशल विकास प्रशिक्षण के दौरान अधिकतम दो वर्ष तक देय है।
(11) रोजगार कार्यालयों सम्बन्धी सूचना- इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर, 2017 तक कुल 1,74,980 आवेदक रोजगार सहायता हेतु पंजीकृत हुए तथा इस अवधि में 721 नियुक्तियाँ सरकारी क्षेत्र में 2,185 अधिसूचित रिक्तियों के तहत व 4,850 नियुक्तियाँ निजी क्षेत्र में 7,035 अधिसूचित रिक्तियों के तहत हुई। सभी रोजगार कार्यालयों में 31.12.2017 तक सक्रिय पंजिका में कुल संख्या 8,34,714 थी। जिलावार रोजगार केन्द्रों का 1.04.2017 से 31.12.2017 में पंजीकरण एवं नियुक्तियाँ निम्न सारणी में दर्शाई गई हैं-
मानव संसाधन (कुशल एवं अकुशल कामगार)- हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के लिए यह तय किया कि प्रदेश में उद्योग लगाने पर सरकार से सुविधाएँ तभी मिलेंगी जब 70% नौकरियाँ हिमाचलियों को दी जाएँगी। काँगड़ा, ऊना और अन्य जिलों में विशेष आर्थिक क्षेत्र' स्थापित किए
गए। 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में कुल जनसंख्या के 32.31% मुख्य कामगार, 16.12% सीमांत कामगार, तथा शेष 50.77% गैर कामगार थे।
कुल कामगारों (मुख्य + सीमाँत) में से 65.33% काश्तकार, 3.15% कृषि श्रमिक, 1.75% गृह उद्योग तथा 29.77% अन्य गतिविधियों में लगे थे। प्रदेश में
कुल कामगारों की संख्या सार्वजनिक क्षेत्र में 2011 में 2,69,287 थी तथा निजी क्षेत्र में 1,25,216 थी। सार्वजनिक क्षेत्र में 3988 नियोक्ता हैं और निजीक्षेत्र में 1460 नियोक्ता हैं।
• हि.प्र. में वर्ष 2016-17 तक 1 लाख 36 हजार कुशल कामगारों (skilled labour) (जो 15-45 वर्ष के बीच हो) का लक्ष्य रखा गया है।
• हि.प्र. में कौशल विकास भत्ता योजना 2013 में शुरू की गई जिसके अंतर्गत् 16 से 36 वर्ष की आयु के 8वीं पास हिमाचली को 1000/- रु.(विक्लाँग को 1500/- रु प्रतिमाह) प्रतिमाह कौशल विकास भत्ता दिया जाता है।
.9 लाख बेरोजगार जो रोजगार कार्यालय में दर्ज है उसमें से 2 लाख कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधि में लगे हैं, 3 लाख पंजीकृत बेरोजगार निजी कार्य कर रहे हैं जबकि 80 हजार लोग अपना बिजनेस कर रहे हैं। 3 लाख के आसपास लोग सही मायने में बेरोजगार की श्रेणी में आते हैं।
. प्रति हजार (15 वर्ष से ऊपर की आयु के) लोगों में हि.प्र. की बेरोजगारी दर 75 है।
• देश में जहाँ कुशल कामगारों की संख्या 2% है वहीं हि.प्र. में यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कुशल कामगारों की बेरोजगारी दर भी हि.प्र. में अधिक है।
(iii) रोजगार सृजन एवं संभावनाएँ- हि.प्र. में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र अभी भी रोजगार सृजन एवं भविष्य में रोजगार की संभावनाओं की दृष्टि से आज भी
महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। निचले क्षेत्रों में औद्योगिक पैकेज का लाभ मिला है। वहाँ स्थापित उद्योगों ने काफी हद तक बेरोजगारी को दूर करने में मदद की है। पशुपालन, औषधीय पौधों से जुड़े व्यवसाय के अलावा, पनविद्युत परियोजनाओं ने भी हि.प्र. में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाये हैं। सार्वजनिक क्षेत्र ने 3 लाख लोगों को रोजगार दिया है जो प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत से अधिक है। पर्यटन आने वाले समय में बहुत बड़े स्वरोजगार का साधन बन सकता है। सेवा क्षेत्र आज भी (शिक्षा, स्वास्थ्य) रोजगार की दृष्टि से अपनी पकड़ और मजबूत कर रहा है।
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