HP Economy Part 3
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था
(जलविद्युत एवं सौर ऊर्जा)
जलविद्युत ऊर्जा-
(1) जल विद्युत ऊर्जा-हि.प्र. में जल विद्युत ऊर्जा की शुरूआत चम्बा से हुई जब राजा भूरि सिंह ने सर्वन जलविद्युत परियोजना का निर्माण(1908 ई.) करवाया। मण्डी में बस्सी शानन जलविद्युत परियोजना 1932 ई. में जनता को समर्पित की प्राप्त कर लिया था। लाहौल स्पीति का किम्बर गाँव बिजली प्राप्त करने वाला सबसे ऊंचा गाँव है। हि.प्र. विद्युत नियामक आयोग (HPERC) का गठन ET में किया गया। सन् 2010 में हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड को 3 हिस्सों में विभाजित कर दिया गया। जल विद्युत का उत्पादन का कार्य हि.भ. पॉवर भारपरेशन कम्पनी लिमिटेड (HPPCL) को सौंपा गया। जल विद्युत संचारण ( हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड को सौंपा गया। HPPCL की स्थापना 2006 में हुई है। हि.प्र. में सर्वाधिक जल विद्युत उत्पादन क्षमता सतलुज नदी में है। 10,579.17 -ने में भोग्य पाया है, शेष क्षमता को पर्यावरण, को बचाने, पारिस्थितिक संतुलन एवं विभिन्न सामाजिक कारणों से त्याग कर लिया गया है। इसलिए सरकार ने निर्धारित लक्ष्य से जो कि 24,000 मैगावाट है में से केवल 20,912 मैगावाट ऊर्जा उत्पादन के लिए ही विभिन्न क्षेत्रों को आबाटेत किया ऊर्जा का विभिन्न क्षेत्रों से दोहन किया जा चुका है। है। राज्य जल विद्युत के विकास को सरकारी एवं निजी क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी से गति प्रदान हो रही है। अभी तक प्रदेश में 10,519 मैगावाट सारणी 5.12.1: विभिन्न क्षेत्रों में विद्युत ऊर्जा निदेशालय की भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धियाँ-149.50 मैगावाट अतिरिक्त क्षमता का लक्ष्य कीमतों में वृद्धि देखी गई है। प्रदेश ने 620.00 करोड़ र राजस्व लक्ष्य की तुलना में 972.00 करोनर का राजस्व अर्जित किया है। निशुल्क एवं इक्विटी पावर विक्री से 31 मार्च, 2018 तक लगभग 66.00 करोड़ का राजस्व प्राप्ति का अनुमान है। लोकल एरिया डॉवेलपमेंट फंड (एल.ए.डी.एफ.) के अंतर्गत् उन क्षेत्रों के विद्युत परियोजनाओं से एक प्रतिशत अतिरिक्त मुप्त विद्युत प्राप्त की गई जिसकी बिक्री से 13.22 करोड़ र प्राप्त हुए जोकि सायश्चित्त एल.ए.डी.सी. को दे दिया गया जिसे परियोजनाओं से प्रभावित परिवारों को आवंटित किया गया। ऊर्जा निदेशालय को 1,000 करोड़ से कम लागत की परियोजनाओं को तकनीकी सहमति देने का कार्य सौंपा गया है। आज तक विस्तृत अवलोकन के उपरांत 14 परियोजनाओं को स्वीकृति दी है जोकि निजी, राज्य एवं केन्द्रीय क्षेत्रों से सम्बन्धित है और जल विद्युत दोहन में कार्यरत है। वर्ष 2017-18 में दिसम्बर, 2017 तक 14 तकनीकी सहमति प्रदान कर दी गई है शेष 3 सहमतियां मार्च, 2018 तक प्रदान की जाएंगी। राज्य सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में बहुउद्देशं च परियोजनाओं एवं ऊर्जा विभाग के लिए कुल रु. 1219 करोड़र का प्रावधान किया है।
(हि.प्र. स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड के अधीन निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाएँ-
.व्हल घरण III जल विद्युत परियोजना (100 MW)- परियोजना के नेरी खट्ट इनटेक, राणा लड्ड इनटक, सर्ज साक्ट तथा भण्डारण जलाशय का कार्य पूर्ण हो चुका है। पैनल्टाक तथा पावन हाऊस के सिविल कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं।
यह परियोजना विस्तृत भू-खण्ड पर फैली है जहाँ पर खराब आवागमन, कमजोर भूगर्भीय सरवना, मुख्य सुरंग की कमजोर धू संरचना, (रेतीले पत्थर, मिट्टी युक्त पत्थर आदि में से होकर गुजरना) तथा मुख्य सुरंग के प्रवेश द्वार से पानी का भारी रिसाव होने के कारण मुख्य मुरंग का कार्य कम्पनियों द्वारा धीमी गति से करने पर दो बार निरस्त किया जा चुका है तथा शेष कार्य को अक्तूबर 2010 में आवंटित किया गया है।
• मुख्य सुरंग का कार्य, अत्यधिक पानी रिसाव के कारण पंचायत द्वारा Stone Crushing Plant को चुलाह में स्थापित करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र न देना, यान्त्रित संचयन पर पाबन्दी तथा नदी के तल से खनन पर पाबन्दी (हालाकि खट्टों से हाथों से पत्थर आदि निकालने का प्रावधान है) इत्यादि कारणों से लगातार पिछड़ता रहा। इसके अलावा मुख्य सुरंग के कार्य में हिमाचल प्रदेश सरकार से देरी से खनन अनापत्ति पत्र (Mining Clearance) मिलने तथा 14 सितम्बर, 2006 को एम.ओ.ई.एफ. भारत सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना तथा माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के द्वारा अगस्त, 2012 में खनन पर पूर्णतया रोक को ध्यान में रखते हुए भी मुख्य सुरंग के शेष कार्य में देरी हुई है। मुख्य सुरंग की खुदाई का कार्य 25.03.2013 को पूर्ण कर लिया गया है। कंकरीट लाईनिंग का कार्य 5.12.2017 को पूर्ण कर लिया गया है। अब मुख्य सुरंग का grouting a clearing का कार्य प्रगति पर है तथा इसका कार्य फरवरी, 2018 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके बाद पानी के भराव का कार्य शुरू किया जाएगा जो कि लगभग एक महीने का समय लेगा।
• परियोजना का अप्रैल, 2018 के दौरान चालू होना अपेक्षित है। परियोजना की अनुमानित लागत 1,281.50 करोड़ र (दिसम्बर, 2012 के मूल्यों पर आधारित) ऑकी गई है। इस पर 31.12.2017 तक 1,438.52 करोड़ र खर्च किए जा चुके हैं। इलैक्ट्रो मैकनिकल व ट्रांसमिशन से सम्बन्धित सभी कार्य जैसे को चुलाह से बस्सी तक 132KV Single Circuit Transrmission Line (15,258 KM) और चुलाह से हमीरपुर तक 132KV Double Circuit Transmission Line (34307KM) का कार्य पूर्ण हो चुका है। Nat)
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड
(1) केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएँ और विभागीय योजनाएँ
. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डी.डी.यू.जी.जे.वाई.)-ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार) ने ग्रामीण घरों के विद्युतीकरण, कृषि और गैर-कृषि फीडरों को अलग करने, उप संचरण और वित्तरण (एस.टी. एंड डी.) के बुनियादी ढांचे को ग्रामीण क्षेत्रों में सुदृढ़ बनाने और बढ़ाने के साथ वितरण ट्रांसफॉर्मरों, फीडरों और उपभोक्ताओं के स्तर पर मीटरिंग के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डी.डी.यू.जी.जे.वाई.) को 3 दिसंबर, 2014 को शुभारंभ किया। योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय और गुणवत्ता युक्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रोसिटी बोर्ड लिमिटेड ने हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों के लिए बारह (12) योजनाएँ तैयार की हैं जिनमें 35 गैर-विद्युतीकृत गाँव, एक SAGY (सांसद आदर्श ग्राम योजना) गाँव तथा 14,088 ग्रामीण परिवार (3,288 बीपीएल परिवारों सहित) शामिल हैं। केंद्र स्तर की निगरानी समिति ने इन योजनाओं के लिए 158.31 ₹ स्वीकृत किये हैं।
• पाँच जिलों यानी शिमला, सोलन, कॉगड़ा, मंडी और कुल्लू के संबंध में संशोधित आशय पत्र (एल.ओ.आई.) (जो पूर्ण रूप से ट्रकी प्रणाली पर क्रियान्वित किये जा रहे हैं। ठेकेदारों को हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड द्वारा 30.12.2017 को जारी कर दिए गए हैं। बचे हुए चम्बा, सिरमौर, किन्नौर, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर जिलों को विभागीय आधार पर कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें महत्त्वपूर्ण सागग्री की स्वयं खरीद की जाएगी। छोटी खरीद ठेकेदार के माध्यम से की जाएगी, जिसे कार्य करने के लिए अनुबंधित किया जायेगा। हालांकि, लाहौल और स्पीति के मामले में, DDUGY स्कीम के तहत काम पूरी तरह से विभागीय आधार पर किया जा रहा है।
• समापन लक्ष्य-दिशा निर्देशों के अनुसार M/S REC Ltd. मंजूरी की तारीख से 30 माह (निविदा के लिए 6 महीने कार्यान्वयन के लिए,24 महीने) में यह योजना पूरी की जानी है।
• गैर-विद्युतीकृत गाँवों की विद्युतीकरण स्थिति-चूंकि, भारत सरकार ने मिशन मोड पर गैर-विद्युतीकृत गाँवों का विद्युतीकरण करने का निर्णय लिया, HPSEEL ने DDUGJY योजना के तहत आबादी वाले 28 गैर-विद्युतीकृत गाँवों को विभागीय स्तर पर विद्युत युक्त करने का निर्णय लिया था। हिमाचल प्रदेश के लिए ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा तय किए गए लक्ष्य से काफी पहले, 30 सितंबर, 2016 में हो HISERL द्वारा इन 28 गैर-विद्युतीकृत गांवों के विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल किया जा चुका है।
(2) पुनर्गठित त्वरित ऊर्जा विकास और सुधार कार्यक्रम
• आर-ए.पी.डी.आर.पी, भाग (अ) के अंतर्गत् हिमाचल प्रदेश में 14 कस्बे नामतः शिमला, सोलन, नाहन, पाँवटा, बद्दी, बिलासपुर, मण्डी, सुन्दरनगर, चम्बा, धर्मशाला, हमीरपुर, कुल्लू, ऊना और योल निधिकरण के लिए योग्य पाए गए।
• कार्यक्षेत्र-आर-ए.पी.डी.आर.पी. भाग (अ) के अंतर्गत् हिमाचल प्रदेश में निम्नलिखित कार्यों को सम्मिलित किया गया है- 1. डाटा सैंटर शिमला में, डिजास्टर रिकवरी सेंटर पांवटा साहिब में और ऊपर दर्शाए गए 14 कस्बों के कार्यालय में अपेक्षित हार्डवेयर, सॉफ्टवेवर एवं बाह्य उपकरणों को उपलब्ध करवाना। 2 डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर सार पर निम्नलिखित सॉफ्टवेयर प्रणालियों का विकास एवं कार्यान्वयन-
(क) मीटर आँकडे एकत्रण प्रणालो।
(ख) ऊजा ऑडिट।
(ग) पहचान एवं निर्धारण प्रबन्धन ।
(घ) प्रबन्धन सूचना प्रणाली एवं डाटा वेयर हाउसिंग युक्त विजनेस इंटेलिजेंस दूलज।
(ङ) उद्यम प्रबन्धन प्रणाली एवं नेटवर्क मैनेजमेंट प्रणाली जोकि हार्डवेयर का भाग है।
सलाहकार क्रियान्वयन एजेंसी के आबंटन-मैं. टेलिकम्युनिकेशन कन्सल्टेंट इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली को संयुक्त रूप में, मै, बयाम टैक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड को आई.टी. सलाहकार के31.07.2009 को कुल लागत 39.71 लाख र से चयनित किया गया। आई.टो. सलाहक का उद्देश्य, उपयुक्त विवरण बनाने, बोली दस्तावेज, प्रक्रिया एवं पर नजर रखने में हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रोसिटी बॉड लिमिटेड की सहायता करता है।
• मै. एच.सी.एल. इन्को-सिस्टमस लिमिटेड, नोएडा को आई.टी. कार्यान्वयन शाखा के रूप में 30 अगस्त, 2010 को कुल लागत 99.14 करोड़ रले कार्य आवंटित किया गया था जिसे बाद में 99.13 करोड़ र किया गया।
नवीनतम स्थिति एवं समापन सारणी-
1. आर-ए, पी.डी.आर.पी. भाग-अ परियोजना की लागत 128.46 करोड़ है।
2. इसमें से 96.40 करोड़ का वित्त पोषण कर्जा मंत्रालय करेगा व याकी 32.06 करोड़र बोर्ड अपने संसाधनों से करेगा। कार्य को अगस्त, 2015 में पूर्ण कर दिया गया है।
3. TPIEA आई.टी. रिपोर्ट, मै, पी.एफ.सी. को अगस्त 2016 में सौंप दी गई।
तृतीय पक्ष स्वतंत्र मूल्याँकन एजेसी-आई.टी. रिपोर्ट, मै. पी.एफ.सी. (नोडल एजेंसी) द्वारा सितबर, 2017 में मजूर कर ली गई है। अंतिम समाप्ति के बारे में औपचारिक संदेश शीघ्र ही आपेक्षित है। अभी तक कुल 84.84 करोड़ र व्यय किए गए हैं।
4. कार्यक्रम से अपेक्षित लाभ-आर-ए.पी.डी.आर.पी. भाग (अ) योजना का मूल उद्देश्य घाटे को निरन्तर कम करना तथा सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग निरन्तर सही आँकड़ों को एकत्रित करके, ऊर्जा ऑडिट के क्षेत्र में एक विश्वसनीय एवं स्वचालित पद्धति को स्थापित करना है।
एकीकृत विद्युत विकास योजना (आई.पी.डी.एस.)- जनगणना 2011 के अनुसार भारत सरकार ने शहरी कस्बों के लिए 3 दिसंबर, 2014 को एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (आई. पी.डी.एस) शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है-शहरी क्षेत्रों में उप संचरण और वितरण नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना। शहरी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर/फोडण्उपभोक्ताओं की मीटरिंगा आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सी.सी.ई.ए.) की मंजूरी 21.06.2013 के अनुसार वितरण क्षेत्र को आई. टी. सक्षमता और वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए. आर-ए.पी.डी.आर.पी. के तहत 12वीं और 13वीं योजना के निर्धारित लक्ष्य पूरा करने के लिए आर.ए.पी.डी.आर. पी. के लिए अनुमोदित व्यय को आगे आई. पी.डी.एस. में जोड़ना।
• योजना की स्थिति -हिमाचल प्रदेश में आई. पी.डी.एस. योजना के तहत कुल बारह (12) परियोजनाएँ केंद्र स्तर की निगरानी समिति की चौथी बैठक में अनुमोदित की गई हैं। इन बारह परियोजनाओं की कुल स्वीकृत लागत 110.60 करोड़ र है। स्कीम लागत के अलावा समिति ने परियोजना लागत का 0.5% (अर्थात् 55.00 लाख र) परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) की लागत के रूप में अनुमोदित किया। आगे, PFC ने 21.03.2016 स्वीकृति पत्र में 93.94 करोड़ र (यानी, परियोजना लागत का 65 प्रतिशत) भारत सरकार अनुदान और 55.00 लाख र पी.एम.ए. घटक के रूप में धन प्रावधान सहित जारी किया है। आई.पी.डी.एस. योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, परियोजना लागत का 10
प्रतिशत (11.06 करोड़ १) काउंटरपार्ट लोन के रूप में 17.10.2016 को M/S REC लि. के साथ करार किया गया है और शेष 5 प्रतिशत (5.60 करोड़ र) हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रोसिटी बोर्ड लिमिटेड द्वारा अपने स्वयं योगदान के तहत किया जाएगा।
योजना की स्थिति-
1. परियोजना प्रबंधन एवंसी नियुक्त किया गया है।
2 आई. पी.डी.एस.आई.टी. चरण-2 के लिए आई.टी. कार्यान्वयन हेतु एजेंसी (आई.टी.आई.ए.) की नियुक्किा के लिए निविदाएँ बुलाई गई है।
और 30 व 31, अक्टूबर 2017 को प्री-विडस सम्मेलन आयोजित किया गया है।
आई.टी. पहल
• कम्प्यूटरीकृत बिलिंग और ऊर्जा लेखा पैकेज (आई.टी. पैकेज)-कम्प्यूटरीकृत बिलिंग और ऊर्जा लेखा पैकेज (आई.टी. पैकेज) त्वरित विद्युत विकास एवं सुधार कार्यक्रम (ए.पी.डी. आर.पी.) के तहत विद्युत मन्त्रालय (एमओपी) द्वारा शुरू किया गया है। इस परियोजना के तहत परिचालन उपमण्डतों को गतिविधियों जैसे कि पूर्व चिलिग क्रियाएँ, बिलिंग क्रियाएँ बिलिग के बाद की क्रियाएँ, उपमण्डल स्तर पर स्टोर प्रबन्धन, ग्राहक सम्बन्ध प्रबन्धन, विद्युत नेटवर्क प्रबन्धन और ऊर्जा लेखा लेखा परीक्षा और प्रबन्धन सूचना प्रणाली (एम.आई.एस.) को कम्प्यूटरीकृत करना है। मै. एच.सी. एल. इन्फोसिस्टमस लिमिटेड, नोएडा को कुल लागत 30.56 करोड़ र से यह कार्य अवार्ड किया गया है। परियोजना 27 मण्डलों के 132 उपमण्डलों और 12 वृतों जिनमें 12 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं, में लागू किया गया है। 61 विद्युत उपमण्डलों में एस.ए.पी, आधारित कम्प्यूटरीकृत बिलिंग-विभिन्न विद्युत उपमंडलों में कम्प्यूटराइज चिलिंग के कार्यान्वयन के दौरान समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड प्रबन्धन द्वारा बिलिंग के लिए मानक तय करने
का निर्णय लिया है। ई.आर.पी. परियोजना के अंतर्गन् हिमाचल प्रदेश स्टेइलेक्ट्रोसिटी बोर्ड लिमिटेड द्वारा SAP के विभिन मौडयूल्न का कार्यान्वयन किया जा रहा है। विभिन्न प्लेटफार्मों की हैडलिग से बचने के लिए बचे हुए 61 उपमंडलों में कम्प्यूटराईज बिलिंग के लिये SAP प्लेटफार्म स्वीकृत किया है।
SAP बिलिंग को 61 नए विद्युत उपमंडलों में कार्यान्वयन के लिए यह कार्य में, टी.सी.एस.लि. को 24.07.2015 में 16.47 करोड़ र में अवार्ड किया गया है। नया कनैक्शन, डीसकनैक्शन, मीटरिंग, ए.एम.आर., बिलिग, स्पाट बिलिंग, कलैक्शन और एम.आई.एस. जैसी प्रमुख विशेषताएँ SAL' चिलिंग के 61 नए विद्युत उपमंडलों में कार्यान्वित की है। 61 विद्युत सब डिविजनों में 100 KW से ज्यादा कनैक्टंड लोड उपभोक्ताओं के लिए SAP आधारित कम्प्यूटराईज विलिंग में ए.एन.आर. का भी प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत्,
आपूर्ति, स्थापना, एम.डी.ए.एस. की कमीशनींग व चयनित उपभोक्ताओं के मीटर को मोडम उपलब्ध करवाना जैसे कार्य शामिल है।
• वर्तमान स्थिति- शुरू में SAP द्वारा कम्प्यूयेकृत बिलिंग विद्युत मण्डल अर्की के अंतर्गत् चार उप मण्डलों में जनवरी, 2016 को लागू किया गया। SAP के कार्यान्वयन के शुरुआती चरण के दौरान आने वाली समस्याओं को मैसर्ज TCS द्वारा सुलझा दिया गया। उसके पश्चात् SAP बिलिंग को मई, 2016 से चालू कर दिया गया। मैसर्ज TCS ने विद्युत उप मण्डलों में SAP के कार्यान्वयन का कार्य
मार्च, 2017 में पूर्ण कर लिया। BSNL से कनैक्टिविटी न मिलने के कारण SAP बिलिंग, उप मण्डलों में स्थापित नहीं की जा सको।
100 KW से अधिक लोड वाले उपभोक्ताओं के लिए कुल 235 मोड़म स्थापित किए गए हैं। जिसमें से 213 मोड़म पंजीकृत किए गए हैं व काम कर रहे हैं। बाकी 22 स्थापित मोड़म को मोटर पोर्ट सीरीयल पोर्ट कारणों से पंजीकृत नहीं किया गया।
मैसर्ज TCS को चरणबद्ध तरीके से 132 विद्युत उप मण्डलों में SAP-ISV बिलिंग का कार्य अवार्ड किया है। इसका विस्तार जनवरी, 2018 में शुरू होकर जुलाई, 2018 तक समाप्त करने की योजना है। कनैक्टिविटी की उपलब्धता पर यह बिलिंग समाधान वाकी पैन्युअल रूप से बिल करने वाले 40 विद्यत उप-मण्डल में भी स्थापित कर दिया जाएगा। उद्यम संसाधन योजना (ई.आर.पी.) का हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड में कार्यान्वयन-एस.ए.पी., ई.आर.पी. एप्लीकेशन, मुख्य कार्यालय, परिचालन विग दक्षिण, प्रणाली का रखरखाव विग तथा हमीरपुर व बिलासपुर कार्यवाही वृत में शुरू कर दिया गया है। पूर्णरूप से इसे 6 मुख्य कार्यालयों में 11 वृतों में, 45 मण्डलों में, 180 उप-मण्डलों में व 8 मुख्य कार्यालयों पर शुरू कर दिया गया है।
SAP/ERP प्रणाली द्वारा प्रत्येक माह 13,000 कर्मचारियों के वेतन, 3,000 से अधिक पशनर और लगभग 12,000 कर्मचारियों के जी.पी.एफ. तैयार किये जा रहे हैं। सभी पैशन वेतन आदेश SAP द्वारा जनरेट किए जा रहे हैं।
सभी स्वतंत्र बिजली उत्पादक जोकि 90 से अधिक हैं कि विलिग SAP के माध्यम से की जा रही है। सार्वभौमिक बिलिंग, NAPP/RAPP आदि) SAT, ERP द्वारा किया जा रहा है।
अन्तर्राज्यीय बिजली की बिक्री, खरीद (रामपुर, SIVNL, एन.एच.पी.सी., BASPA,SFCI,UPCL,NTIC,UJVNL,25MV से ऊपर,
मण्डी व्रत के लिए विस्तार प्रक्रिया में है व जनवरी, 2018 में पूर्ण कर लिया जाएगा।
बाकी बची जगहों को चरणबद्ध तरीके से कवर किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के काला अम्ब में स्मार्ट ग्रिड पावलट परियोजना का कार्यान्वयन-हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड काला अम्ब में स्मार्ट ग्रिड पावलट परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है। इस परियोजना के कार्यान्वयन का कार्य M/SAlstom T&D India Pvt. Ltd. (Now M/SGE TAED India Ltd.) और M/sGenus Power Infrastructure Ltd. को फरवरी, 2015 में 2499 करोड़ में अवार्ड कर दिया गया है अब इसको संशोधित लागत 25.50 करोड़ ₹ कर दी गई है।
इस परियोजना के लिए भारत सरकार 9.72 करोड र का वित्त पोषण कर रही है। मैं. PGCIL को हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड लिमिटेड का इस परियोजना के लिए Advisor cum consultancy services provider नियुक्त किया है। मार्च, 2018 तक पूर्ण होये की संभावना है।
फोल्द उपकरण को स्थापना, हार्डवेयर व साफाषेवर जैसे प्रमुख कार्य पूरे हो चुके हैं । भामूली शुधार कार्य प्रगति पर है
एशियन विकास बैंक ऋण के ट्रांच-II में 110 मिलियन डॉलर के ऋण का समझौता सितम्बर, 2014 में हस्ताक्षरित हो चुका है जिसके अंतर्मत् सात परियोजनाओं का कार्य जारी कर दिया गया है।
(1)66 के.वी. विधुत उप-केन्द्र उनी का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की तय लागत 28.00 करोड़र है, और यह दिसम्बर,
2018 में चालू हो जाएगा।
(2) 4000/220/33 के.बी. विद्युत उप केन्द्र लाहौल का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना को तय लागत 23300 करोहर है. और
यह जून, 2018 में चालू हो जाएगा।
(3)220 के वो. संचार लाईन छोर से बनाला का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना को तय तागत 47.00 करोडर है और यह दिसम्बर, 2019 में चालू हो जाएगा। 40220 के.यो. डोसो संचार लाईन लाहौल से बुधिल का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना को तग लागत 5.100 करोड़ र है और यह जून, 2018 में चालू हो जाएगा। 132 के.वी. विद्युत उप-केन्द्र बबी से कांगड़ा-बेहरा लाईन का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 1800 करोड़र और यह जून 2019 में चालू हो जाएगा। 66 के. वी. डी.सो. संचार लाईन उर्मी से बांगतु का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की तय लागत 14.00 करोड़ र है और वह दिसम्बर, 2015 में चालू हो जाएगा। 9220 के. पी. डी. सी. संचार लाईन सुंडा से हाटकोटी का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की तय लागत 56.00 करोड़ है और यह मार्च, 2020 में चालू हो जाएगा।
. सौर प्रकाशवोल्टिय ऊर्जा संयंत्र/परियोजनाएं-
(क) ऑफ ग्रिड सौर पावर प्लाट-वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान राष्ट्रीय सोलन मिशन दिसम्बर, 2017 तक 60 के.डब्ल्यू.पी. के सौर प्रकाशबोल्टिय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। मार्च, 2018 तक 330 के.डब्ल्यू.पी. सौर प्रकाशवोल्टिय पावर प्लांट की स्थापना अनुमानित है। वर्ष 2018-19 के लिए 1,000 किलोवाट के.डब्ल्यू.पी. अमता के सौर प्रकाशवोल्टिय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है जो कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार जन-जातीय उपयोजना के अंतर्गत् प्रस्तावित है।
(ख) ग्रिड सचालित सौर पावर परियोजनाएँ-मार्च, 2018 तक प्रस्तावित उपलब्धि 4 मैगाबाट होगी। वर्ष 2018-19 के लिए 15 मैगावाट
क्षमता के सौर पावर परियोजनाओं की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
(ग) ग्रिड संचालित सौर टाप प्लाट्स-मार्च, 2018 तक प्रस्तावित उपलब्धि 450 के.डब्ल्यू.यू.पी. होगी। वर्ष 2018-19 के लिए 2000के.डब्ल्यू.पी. क्षमता के संचालित सौर रूफ राप प्लांटस को स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। निजी क्षेत्र की सहभागिता से निष्पादित की जा रही 5 मैगावाट क्षमता तक की जल विद्युत परियोजनाएँ-वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान दिसम्बर, 2017 तक 5 परियोजनाएँ जिनकी संकलित क्षमता 19.20 मैगावाट है शुरू की गई है तथा मार्च, 2018 तक 10 परियोजनाएँ जिनको करने का लक्ष्य रखा गया है। संकलित क्षमता 34.10 मैगावाट है, की स्थापना प्रस्तावित है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 30.00 मैगावाट क्षमता को विद्युत परियोजनाएं स्थापित हिमऊर्जा द्वारा निष्पादित की जा रही जल विद्युत परियोजनाएँ-हिमऊर्जा द्वारा चलाई जा रही लघु विद्युत परियोजनाएँ-लिंगटी (400 किलोवाट), कोठी (200 किलोवाट), जुथेड़ (100 किलोवाट), पुरथी (100 किलोवाट), सुराल (100 किलोवाट), घरोला (100 किलोवाट) तथा साच (900 किलोवाट) तथा विलिंग ( 400 किलोवाट) जिनमें विद्युत उत्पादन हो रहा है। वित्तीय वर्ष के दौरान दिसम्बर, 2017 तक इन परियोजनाओं से 25.45 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। अन्य परियोजनाएँ बड़ा भंगाल (40 किलोवाट) तथा सराहन (30 किलोवाट) भी हिमऊर्जा द्वारा निष्पादित की गई है। बड़ा भंगाल परियोजना से बिजली की आपूर्ति स्थानीय लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिम ऊर्जा को 18 परियोजनाओं जिनकी क्षमता 36.87 मैगावाट है, आवंटित की हैं। इसमें से 10 परियोजनाएँ जिनकी संकलित क्षमता 2.37 मैगावाट है स्थापित की जा चुकी है। 3 परियोजनाएँ जिनकी संकलित क्षमता 14.50 मैगावाट है, बी.ओ.टी. आधार पर साई इन्जीनियरिंग शिमला को आवंटित की गई है। विभिन्न अनापत्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है। शेष 5 परियोजनाएँ जिनकी संकलित क्षमता 20.00 मैगावाट है को वी.ओ.टी. आधार पर आबंटित करने हेतु निविदा प्रक्रिया प्रगति पर है। हिम ऊर्जा द्वारा भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना अनुसार 2 राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्को की स्थापना की जाएगी। उद्यान एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन और एन.आई.टी. हमीरपुर में ऊर्जा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। शिमला तथा हमीरपुर शहर को भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कार्यक्रम के अनुसार सौर शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा।
HP Economy part 4
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