HP Polity Part 2

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न्यायपालिका-

15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश के गठन पर इसे न्यायिक कमिश्नर अन्तर्गत् लाया गया। इसके तहत हिमाचल में 2 जिला व सेशन जज न्यायालय व 27 छोटे न्यायालयों को आरंभ किया गया। इस दौरान इन न्यायालयों में पंजाब उच्च न्यायालय के नियम व कानून अपनाए गए। 29 अप्रैल, 1967 को शिमला व काँगड़ा में नए जिला व सत्र न्यायालयों को आरंभ किया गया। 1967 में ही दिल्ली उच्च न्यायालय के हिमाचल बेंच गठन किया गया, जिसका मुख्यालय शिमला में बनाया गया। 1967 में केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय अधिनियम पारित किया। केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र हि.प्र. तक स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 1967 में न्यायिक आयुक्त (ज्यूडीशियल कमीश्ना) का स्थान "दिल्ली उच्च न्यायालय" के हिमाचल बेंच ने ले लिया।


उच्च न्यायालय-

25 फरवरी, 1971 को पूर्ण राजत्व प्राप्त करने पर हिमाचल प्रदेश में तीन सदस्यीय हिमालय प्रदेश उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। न्यायमूर्ति मिर्जा हमीदुल्ला बेग इस उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश बने। इस समय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में मुछ न्यायाधीश गठित 11 न्यायाधीश के पद हैं।


 मुख्य न्यायाधीश-

काँगड़ा के श्री मेहर चंद महाजन प्रदेश के एकमात्र व्यक्ति हैं, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। वे 1954 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ भारत के किसी उच्च न्यायालय की सर्वप्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। इन्हें 5 अगस्त, 1991 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति भवानी सिंह प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं, जिन्हें किसी अन्य उच्च न्यायालय का.मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वे जम्मू उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। हि.प्र. उच्च न्यायालय के दूसरे मुख्य न्यायाधीश आर.एस. पाठक

(1972 1978) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग के जज रह चुके हैं। हि.प्र. उच्च न्यायालय के भवन का नाम 'रेवेन्स वुद्ध' है। जस्टिस आर. एस. पाठक सर्वाधिक

अवधि (18-3-72 से 19-2-78) तक हि.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। न्यायमूर्ति शशिकांत सेठ केवल 7 दिन तक हि.प्र. उच्च न्यायालय.के मुख्य न्यायाधीश रहे। श्री टी. रामभद्रन हि.प्र. के प्रथम न्यायिक आयुक्त थे।


राज्यपाल

राज्यपाल(गवर्नर)-राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है। 25 जनवरी, 1971 को प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद एस. चक्रवर्ती हिमाचल प्रदेश के प्रथम राज्यपाल बने। शीला कौल हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल थीं। सुरेन्द्रनाथ कार्यकाल के दौरान दिवंगत होने वाले प्रदेश के पहले राज्यपाल थे। 9 जुलाई, 1994 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई थी।


उपराज्यपाल

उपराज्यपाल:-मेजर जनरल हिम्मत सिंह 21-3-52 से 31-12-54  प्रथम बने।




 हि.प्र. के मुख्य राजनीतिक दलों का विकास

 काग्रेस-

कांग्रेस की स्थापना 1885 ई. में A.O. हयूम ने बम्बई में की थी। स्वतंत्रता के बाद हि.प्र. में भी कांग्रेसप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस पार्टी से निष्कासित मण्डी के नेता सुखराम द्वारा नवगठित पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस ने 1998 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को काफी नुकसान पहुँचाया। कांग्रेस

पार्टी 1952 से 1977 तक, 1980 से 1990 तक, 1993 से 1998. 2003 से 2007 तथा 2012 से 2017 तक सत्ता में रही।

  1. विचारधारा-लोकतंत्र में विश्वास, धर्म निरपेक्षता, लोकतांत्रिक समाजवाद, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा, मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन।

  2. संगठन-कांग्रेस सेवा दल, यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एन.एस.यू.आई., किसान सभा आदि।

  3. हि.प्र. में कांग्रेस के समर्थन का आधार-धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग, SC & ST वर्ग, महिलाएँ, श्रमिक वर्ग, पुरानी पीढ़ी एवं वयोवृद्ध नागरिक।

  4. उपलब्धियाँ-राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक विकास, आर्थिक विकास।


भारतीय जनता पार्टी-

हि.प्र. में वर्तमान में द्विदलीय प्रणाली है जिसमें भाजपा व कांग्रेस दो प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं। भारतीय जनता

  1. विचारधारा-राष्ट्रवाद, प्रादेशिक अखण्डता में विश्वास, लोकतंत्र में विश्वास, हिन्दुत्व में विश्वास, गाँधीवादी समाजवाद में विश्वास, राष्ट्रीय एकता में विश्वास, एक राष्ट्र एक संस्कृति में विश्वास।

  2. भारतीय जनता पार्टी के समर्थन का आधार-व्यापारी, ब्राह्मण वर्ग, शिक्षित मध्यम वर्ग, युवा पीढ़ी, पिछड़ा वर्ग तथा श्रमिक वर्ग।मजदूर संघ, विश्व हिंदू परिषद्, बजरंग दल, स्वदेशी जागरण मंच। एक प्रकार से 1951 से भारतीय जनसंघ

  3. संगठन-आरएस.एस.,भारतीय मजदूर संघ विषव हिंदू संघ बजरंग दल सवदेशी मंच ।एक प्रकार से 1951से भारतीय जंनसंघ तथा 1980 से भाजपा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस.) की राजनीतिक इकाई मानी जाती रही है।

  4. उपलब्धियाँ-द्विदलीय व्यवस्था में योगदान, सशक्त विपक्ष भूमिका, विकास में योगदान


जनता पार्टी-

1977 के लोकसभा एवं विधानसभा जनता पार्टी से अलग होकर भाजपा नाम से नया दल बनाया जिसके नेता शांता कुमार थे। जनता पार्टी, भाजपा एवं जनता दल नामक दलों में परिवर्तित हो गई। उपलब्धियाँ-पहली गैर कांग्रेसी सरकार, पेयजल (हैण्डपम्प) समस्या का समाधान, अन्त्योदय कार्यक्रम, काम के बदले अनाज, विपक्ष के महत्व को बढाया


भारतीय जनसंघ-

भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 ई. में डॉशाखा से जुड़ी थी। हि.प्र. में एक नवम्बर 1966 को स्वतंत्र उनमय प्राप्त नहीं हुई जबतक कि उसका विलय जनता पार्टी में नहीं हु गया। वर्ष 1977 के विलय तथा 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर भाजपा के गठन ने भारतीय जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिस्थापन कर दिया।


स्वतंत्र पार्टी-

स्वतंत्र पार्टी की स्थापना 1959 ई. में सीविजय प्राप्त की थी। यह 1950-60 के दशक में हि.प्र. की प्रमुख पार्टियों में से एक थी। राजा आनंद चंद के कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस पार्टी का अस्तित्व हि.प्र. से समाप्त हो गया।


हिमाचल विकास कांग्रेस (HVC)-

हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन 1997 में मण्डी के पण्डित सुखराम ने किया था। इस पार्टी ने 1998 के विधानसभा चुनाव 5 सीटें, 2003 विधानसभा में 1 सीट तथा 1999 लोकसभा चुनाव में शिमला सीट पर विजय प्राप्त की। 2004 में इस दल का विलय कांग्रेस में हो गया।


कम्युनिस्ट पार्टी-

हि.प्र. में इस दल की एक शाखा पंजाब रह चुके हैं। हि.प्र. विश्वविद्यालय एवं शिमला में इस पार्टी की काफी पकड़ है।


प्रजा सोशलिस्ट पार्टी-

1952 में समाजवादी दल एवं किसान मजदूर कांग्रेस में विलय हो गई। हि.प्र. में इस दल की स्थापना कुछ असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं ने की थी।


अनुसूचित जाति संघ-

हि.प्र. में अनुसूचित जाति संघ की सीटें जीती थी। रामदास के कांग्रेस में मिलने के साथ ही इस दल का अस्तित्व समाप्त हो गया।


 लोकराजपार्टी-वर्ष 1967 में हि.प्र. में लोकराज पार्टी का गठन हुआ।


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