HP Economics part 1

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हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था

 संस्थागत एवं बैंक वित्त

 

लीड बैंक- हिमाचल प्रदेश राज्य में 12 जिले शामिल हैं। प्रदेश में तीन बैंकों को लीड बैंक को जिम्मेदारी दी गई है जिसमें पंजाब नैशनल बैंक की 6 जिलों हमीरपुर, काँगड़ा, किन्नौर, कुल्लू मण्डी तथा ऊना में, यूको बैंक को 4 जिलों बिलासपुर, शिमला, सोलन तथा सिरमौर में तथा स्टेट के ऑफ इंडिया को 2 जिलों चम्बा तथा लाहौल-स्पीति में यह कार्य आवटित किया गया है। यूको बैंक राज्य स्तर बैंकर्स समिति (एस.एल.बी.सी) संयोजक बैंक हैं। सितम्बर, 2017 तक राज्य में कुल 2,144 बैंक शाखाओं का नेटवर्क है और 80 प्रतिशत से अधिक शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में का कर रही हैं। अक्तूबर, 2016 से सितम्बर, 2017 तक 83 नई बैंक शाखाएँ खोली गई हैं। वर्तमान में 1,742 शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में. 3 mal अर्ध शहरी क्षेत्रों में तथा 91 शिमला में स्थित हैं, शिमला को ही आर.बी.आई. द्वारा राज्य में केवल शहरी क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है।



 बैंक मित्र- बैंकों द्वारा दूर-दराज के क्षेत्रों में जहाँ त्रिक एवं मोटार शाखाएँ आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं है बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने हेतु व्यापार संवाददाता एजेंटों (जिन्हें बैंक मित्र के रूप में जाना जाता है) को तैनात किया है। क्षेत्रीय निदेशक की अध्यासना में स्थित है तथा नाबार्ड का भी क्षेत्रीय कार्यालय मुख्य महाप्रबन्धक की अध्यक्षता में शिमला में स्थित है।


 


  सितम्बर, 2017 तक राज्य के बैंकों ने आर.बी.आई द्वारा छ: में से चार राष्ट्रीय मानको जिसमें प्राथमिक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, कमजोर वर्ग तथा महिलाओं को ऋण उपलब्ध करवाया है। वर्तमान में बैंकों द्वारा प्राथमिकता क्षेत्र जैसे कृषि, एम.एस.एम.ई, शिक्षा ऋण, आवास ऋण, लघु ऋण आज गतिविधियाँ करने के में कमजोर वर्गों तथा महिलाओं का क्रमश: 20.59 प्रतिशत तथा 8.10 प्रतिशत अग्रिम राशि का भाग है जो कि राष्ट्रीय मानकों के अनुसार क्रमशः 10 प्रतिशत तथा 5 प्रतिशत होनी चाहिए। राज्य में बैंकों का सितम्बर, 2017 तक क्रेडिट जमा अनुपात 44.60 प्रतिशत पर स्थिर रहा है।


वित्तीय समावेशन उपक्रम- भारत सरकार द्वारा देश भर में वित्तीय समावेशन, व्यापक अभियान के अंतर्गत .'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' का शुभारंभ करके

हिमाचल प्रदेश में औपचारिक बैंकिंग प्रणाली अपवर्जित समाज के लिए किया है। इस अभियान ने तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। वित्तीय समावेशन उपक्रम के

की अलगत् नई पहलों से ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में समाज के कमजोर वर्ग, महिलाओं, दोनों छोटे और सीमांत किसानों तथा मजदूरों को शामिल किया गया है।


 साक्षरता अभियान-बैंक हिमाचल प्रदेश में वित्तीय साक्षरता केन्द्रों (एफ.एल.सी.) तथा अपनी बैंक शाखाओं के माध्यम से वित्तीय साक्षरता अभियान चला रहे हैं। लीड बैंक द्वारा प्रबंधित कुल 22 वित्तीय साक्षरता केन्द्र (एफ.एल.सी.) जैसे पी.एन.बी./एस. बी.आई./यूको PNB SBI UCOबैंक तथा सहकारी में, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक (HPSCB.), जोगिन्द्रा सैन्ट्रल सहकारी बैंक (जे.सी. सी.बी.) तथा काँगड़ा सैन्ट्रल सहकारी बैंक (के.सी.सी.बी.) शामिल है। आर.बी.आई. द्वारा बैंक शाखाओं को नियमित आधार पर एक महीने में कम से कम एक बार एफ.एल.सी. कैंप का संचालन करने का निर्देश दिया है, ताकि डिजिटल साक्षरता की प्रगति पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा RBI. द्वारा नियमित आधार पर FLC की समीक्षा की जा सके।


बैंकों की व्यापारिक मात्रा- राज्य के सभी बैंकों द्वारा सितम्बर, 2016 से सितम्बर, 2017 तक जमा राशि 93,726.96 करोड़ से बढ़कर 1,03,355.00

करोड़ सितम्बर, 2017 तक दर्ज की गई। बैंकों को जमा राशि में वर्ष दर वर्ष 10.27 प्रतिशत की वृद्धि जमा राशि दर्शाती है। कुल अग्रिम सितम्बर, 2016 में 34,961.91 करोड़ से बढ़ कर सितम्बर, 2017 तक 35,881.76 करोड़ हो गए। इस प्रकार सितम्बर, 2017 तक वर्ष दर वर्ष वृद्धि 263 प्रतिशत रही। कुल बैंकिंग कारोबार 1,39,236.00 करोड़ तक बढ़ गया तथा वर्ष दर वर्ष वृद्धि 8.20 प्रतिशत दर्ज की गई।  बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) का योगदान सबसे अधिक 68 प्रतिशत भाग है, आर.आर.बी. का 4 प्रतिशत भाग है, निजी बैंक का 7 प्रतिशत तथा सहकारी बैंक का 21 प्रतिशत भाग है।


वार्षिक जमा योजना 2017-18 के अंतर्गत् प्रदर्शन-वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए बैंकों ने नाबार्ड की सहायता से, क्षमता के आधार पर विभिन्न प्राथमिकता क्षेत्र की गतिविधियों के लिए वार्षिक जमा योजना तैयार कर नए ऋण अदा किए गए हैं। वार्षिक जमा योजना 2017-18 के अधीन पिछली योजना के वित्तीय परिव्यय में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा 22,083 करोड़ परिव्यय का लक्ष्य तय किया गया। सितम्बर, 2017 तक बैंकों ने वार्षिक जमा योजना के अंतर्गत् 9,170 करोड़ के नए ऋण वितरित किए तथा 42 प्रतिशत की वार्षिक प्रतिबद्धता हासिल की। क्षेत्रवार लक्ष्य तथा उपलब्धि 30.09.2917 तक सारणी 5.21 में दर्शाई गई है।


510.60 करोड़ हो गया है। आर.आई.डी.एफ. ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिंचाई, सड़कें तथा पुल निर्माण, बाढ़ नियन्त्रण, पेयजल आपूर्ति, प्राथमिक शिक्षा, पशुधन सेवाएँ, जलागम विकास तथा सूचना प्रौद्योगिकी इत्यादि के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।हाल ही के वर्षों में इसने पॉली हाउस च सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आदि नवीन परियोजनाओं के विकास के लिए भी सहायता प्रदान की है।व्यवसायिक आधार पर कृषि व्यवसाय और सतत खेती के विकास के लिए नई दिशा है।.आर.आई.डी.एफ. निधि के अतर्गत् राज्य को 31 दिसम्बर, 2017 तक 5,399 परियोजनाओं को लागू करने के लिए 6,750.86 करोड़ की.स्वीकृति दी जा चुकी है जिनमें मुख्यतः ग्रामीण सड़कें. पुल, सिंचाई, पेयजल, शिश्मा आदि को परियोजनाएँ भी शामिल हैं जिन्हें स्वीकृतिका गई है। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अंतर्गत 31 दिसम्बर2017 तक आर.आई.डी.एफ. XXII के अंतर्गत् 510.60 करोड़ की स्वीकृति दी जा.चुकी है तथा राज्य सरकार को 401.50 करोड़ वितरित किए गए तथा अब तक कुल मिलाकर 4,854.70 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। स्वीकृत की गई इन परियोजनाओं के पूर्ण होने के बाद 42.73 लाख से अधिक लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाएगा. 8151 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कें, 2,804 मीटर स्पैन पुलों के निर्माण तथा 1,25,761 हैक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।

• इसके अतिरिक्त 27,317 हैक्टेयर भूमि का बचाव, बाढ़ नियन्त्रण परियोजनाओं से होगा। 6,219 हैक्टेयर भूमि जलागम विकास योजनाओं में शामिल होगी। कृषि खेती हेतु 231 हैक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के साथ पॉली हाउस के अंतर्गत् लाया जाएगा। इसके द्वारा प्राथमिक स्कूलों के लिए 2,921 कमरे, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के लिए 64 विज्ञान प्रयोगशालाएँ, 25 सूचना तकनीक केन्द्र तथा 397 पण चिकित्सालयों एवं कृत्रिम गर्भाकरण केन्द्रों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है।


 नाबार्ड अधोसंरचना विकास सहायता ( नीडा)-वर्ष 2011-12 से नाबार्ड ने राज्य सरकार के संस्थाओं निगमों के लिए सतत आय के स्रोतों ऋण को एक अलग व्यवस्था की है। यह व्यवस्था बजट के माध्यम से तथा इसके बिना भी हो सकती है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधार संरचना तैयार की जा सके। ऋण को यह व्यवस्था आर.आई.डी.एफ. ऋण की व्यवस्था से बाहर है। इस निधि के आने से गैर परम्परागत क्षेत्रों में प्रामीण अधोसंरचना तैयार करने हेतु संभावनाएँ खुली हैं। ग्रामीण बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के दायरे को बढ़ाने के लिए नौडा के तहत सार्वजनिक व निजी साझेदारी से वित्तपोषण करने पर बल दिया जा रहा है। ऐसो इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ जिनसे बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ मिलता हो और आर.उगई.टी. एफ, और रूरवन मिशन के तहत भारत सरकार भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित गतिविधियाँ भी सार्वजनिक एवं निजी सहयोग के तहत वित्तपोषण के लिए इसमें पात्र हैं।


 खाद्य प्रसंस्करण निधि (एफपीएफ)-नाबार्ड ने वर्ष 2014-15 में 2,000 करोड़ की खाद्य प्रसंस्करण निधि स्थापित की गई है जिसके तहत क्लस्टर आधार पर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से नामित फूड पार्क की स्थापना और नामित फूड पार्को में खाद्य/कृषि प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी ताकि देश में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उपज को बर्बादी को कम किया जा सके और रोजगार के अधिक अवसर सृजित किये जा सके। क्रिमिका मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड, सिंधा, ऊना में 32.94 करोड़ की वित्तीय सहायता से इस कोष के अधीन स्थापित किया गया है। 31.12.2017 तक इस परियोजना के लिए 24.76 करोड वितरित किए जा चुके हैं।


(4) वित्तीय सहायता- ग्रामीण आवास, लघु सड़क परिवहन आपोटरों, भूमि विकास, लघु सिंचाई, डेयरी विकास, स्वयं सहायता समूह, कृषि यंत्रीकरण,

मुर्गी पालन, वृक्षारोपण, एवं बागवानो/भेड़ बकरी सुअर पालन, पैकिंग ग्रेडिंग व अन्य शामिल क्षेत्रों के विभिन्न कार्यों के लिए पुनर्चित सहायता स्वरूप नाबार्ड द्वारा बैंकों को 728.92 करोड़ की वित्तीय सहायता वर्ष 2016-17 के दौरान और 551.56 करोड़ की वित्तीय सहायता वर्ष 2017-18 के दौरान 31 दिसम्बर, 2017 तक प्रदान की गई है। नाबार्ड ने सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा फसल ऋण वितरण में अधिक योगदान करने के लिए 920.00 करोड़ की ऋण सीमा एस.टी. (एस.ए.ओ.) के अंतर्गत् स्वीकृत की थी। इन बैंकों द्वारा 920.00 करोड़ का पुनर्वित सहायता नाबाई से 31.03.2017 तक प्राप्त की है। वर्ष 2017-18 के लिए भी 920.00 करोड़ की ऋण सीमा मंजूर की गई है और इसके अंतर्गत् 31,12.2017 तक कुल 479.26 करोड़ का संवितरण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2016-17 में सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए अतिरिक्त लघु अवधि की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए नाबार्ड द्वारा एक नवीन उत्पाद “अल्पावधि के अतिरिक्त (मौसमी कृषि कार्य)" को प्रस्तुत किया है। इस कोष के अंतर्गत् वर्ष 2017-18 में नाबार्ड द्वारा एच.पी.एस.सी.बी. के लिए 90.00 करोड़ तथा एच.पी.जी.बी. के लिए 40.00

करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।


 SHG-स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.) कार्यक्रम अब सारे प्रदेश में एक सशक्त आधार के साथ फैल गया है। इस कार्यक्रम को उच्च शिखर पर

पहुंचाने में मानव संसाधनों और वित्तीय उत्पादों का विशेष योगदान रहा है। हिमाचल प्रदेश में 45,735 क्रेडिट लिंक्ड स्वयं सहायता समूहों ने लगभग

6.60 लाख ग्रामीण परिवारों को कुल 13.12 लाख ग्रामीण परिवारों में से जोड़ा है। इनका 110.42 करोड़ का ऋण 31.03.2017 तक बकाया है। इसके अतिरिक्त स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से नाबार्ड द्वारा महिला स्वयं सहायता समूह कार्यक्रमों को दो जिलों जिनमें मण्डी व सिरमौर में क्रमश: 1,500 व 1,455 महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को 29.55 करोड़ क्रेडिट लिंकेज के लक्ष्य के लिए अनुदान सहायता दी गई है। 31.12.2017 तक कुल 2,832 महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को बचत तथा 2,611 महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को क्रेडिट लिंक के साथ जोड़ा गया।

• केन्द्रीय बजट 2014-15 में संयुक्त कृषि समूहों के वित्त पोषण के लिए नाबार्ड द्वारा किए गए वित्तपोषण के प्रयासों से संयुक्त देयता समूह.साधन से भूमिहीन किसानों तक वित्तीय सहायता पहुँचाने के लिए नूतन पहल हुई है। 31 मार्च, 2017 तक राज्य में बैंकों द्वारा 689.66 लाख का ऋण लगभग 2,084 संयुक्त देयता समूहों को प्रदान किया गया है। नाबार्ड द्वारा 50 "स्वयं सहायता प्रचार संस्थाओं/संयुक्त देवता प्रचार संस्थाओं की साझेदारी से स्वयं सहायता समूह बैंक लिकेज कार्यक्रम तथा 'संयुक्त देयता समूह' योजना का प्रचार किया जा रहा है। नाबार्ड । रा वर्ष 2017-18 के दौरान हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक को 3 वर्ष की अवधि में 500 जे.एल.जी. के प्रमोशन और क्रेडिट लिकेज के लिए 10.00 लाख की राशि स्वीकृत की है। इसके अतिरिक्त नाबार्ड द्वारा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के लिए जिन्होंने बैंकों से ऋण सुविधा का लाभ उठाया है, को लघु अवधि कौशल विकास प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की जा रही है। वर्ष 2017-18 (31.12.2017) तक 30 माइक्रो उद्यमियता विकास कार्यक्रम (एम.ई.टी.पी.) व्यक्तिगत रूप से या समूह के माध्यम से आजीषिका गतिविधि शुरु करने.के लिए 900 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देने की मंजूरी दी गई है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017-18 में 90 स्वय सहायता समूह के सदस्यों के प्रशिक्षण और उद्यमियों के विकास के लिए एक आजीविका उद्यम विकास कार्यक्रम (एल.ई.डी.पी.)को मंजूरी दी गई है।




 कृषि क्षेत्र में की गई पहाल -31 दिसम्बर 2017 तक राज्य में 3,153 कृषक संघ बनाए गए हैं जिनके अंतर्गत 6011 गालों में 39,836 कृषकों को लाभ पहुंचाया गया है। जिला सिरमौर तथा बिलासपुर जिले में कृषक महासंघों का गठन किया गया है, जो कृषकों के कल्याण हेतु कार्य कर रहे हैं।


 जनजातीय विकास निधि के माध्यम से जनजातीय लोगों का विकास-नाबार्ड, क्षेत्रीय कार्यालय, शिमला ने जनजातीय विकास निधि के.अंतर्गत चार परियोजनाओं के अतिरिक्त एक अन्य परियोजना में कुल वित्तीय सहायता 873., संब. अखरोट, नाशपाती और जंगली घुबानी के पौधे लगाए गए हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत् छोटे उद्यानों और.डेयरी के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को अपनी आय का स्तर बढ़ाने का अवसर मिलने की उम्मीद है। लाख की अनुदान सहायता जारी की गई है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत् सभी दूर-दराज दुग्ध प्रसंस्करण, स्वदेशी शहद परियोजनाओं और सैमिनारों कार्यशालाओं/मलों में लगभग 30,000 कृषक लाभान्वित हुए हैं। उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन (एफ.पी.ओ)-कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने देश में 2,000 किमान उत्पादक संगठनों के गठन के लिए 200.00 करोड़ का बजट आवंटित किया है। नाबार्ड ने हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, किन्नौर, सिरमौर, चम्बा, कांगड़ा, हमीरपुर.

बिलासपुर, कुल्लू तथा लाहौल एवं स्पीति , प्राथमिक प्रसंस्करण और विपणन का कार्य करेंगे। 31 दिसम्बर, 2017 तक 204.21 लाख की राशि आरित की गई है। वर्ष 2017-18 में 18 नए किसान उत्पाद संगठन स्वीकृत किए गए हैं।


 प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन पर अबेला कार्यक्रम (यू.पी.एन.आर.एम.)-नाबार्ड के.एफ.डब्ल्यू. और जी.टी.जेड. को सहायता से भारत-जर्मन.सहयोग के अंतर्गत् पिछले 16 वर्षों से गाटरशैड और छोटे उद्यान परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है। प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन के क्षेत्र.में द्विपक्षीय सहयोग को पुनर्गठित करने के लिए भारत और जर्मनी ने यू.पी.एन.आर.एम. को शुरू किया है। कार्यक्रम के तहत को सहायता प्रदान की जाती है जो प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और ग्रामीण गरीबों की आजीविका में सुधार में सामंजस्य स्थापित करती हों। यू.पी.एन.आर.एम. परियोजनाओं के अतर्गत् नावाई क्षेत्रीय कार्यालय हि.प्र. द्वारा राज्य में वर्ष 2017-18 तक (31.12.2017) 40.14 लाख की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई है।


 ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र-नाचार्ड ने ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र को एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है। यह राज्य ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र के.विकास के लिए वाणिज्यिक बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और के तहत कार्यशील पूंजी या खण्ड पूँजी या दोनों के लिए समय पर और पर्याप्त मात्रा में ऋण दिया जाता है। ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र में उत्पादों के विपणन और उत्पादन के लिए पुनर्वित उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त नाबाई युवाओं के देती हैं ताकि उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार मिल सके और वे आय-सृजन गतिविधियाँ शुरू कर सके। 


आधार स्तर पर ऋण प्रवाह-वर्ष 2016-17 में प्राथमिक क्षेत्रों के लिए आधार स्तरीय अण प्रवाह 12,926.18 करोड़ तक पहुँच गया जोकि का.2015-16 से 23.14 प्रतिशत अधिक है। नाबाई की संभावित ऋण योजना के आधार पर विभिन्न बैंकों के लिए 19,179.26 प्रमण एवं गैर-ऋण लिकेजों का वास्तविक आँकलन किया जाता है। विभिन्न हितधारको अर्थात राज्य सरकार, जिला प्रशासन को एन.जी.ओ., किसानों और अन्य सम्बन्धित एजेंसियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर पी.एल.पी. तैयार की जाती है। हिमाचल प्रदेश के लिए कई 2018-19 हेतु मुख्य क्षेत्रवार पी.एल.पी. अनुमान 22.369,31 करोड़ आंकलित किया गया है।


 वित्तीय समावेश-वित्तीय समावेश की मुख्य धारा की वित्तीय संस्थाओं द्वारा निष्पक्ष और फरदर्शी तरीके से सस्ती कीमत पर में संचालित किया गया है।

एफ.आई.एफ. का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर वर्गों, कम आय वाले समूहों तथा पिछड़े क्षेत्रों, बैंक रहित क्षेत्रों में अधिक से अधिक वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 'विकास और कुल संचयी सहायता निम्न प्रकार है-

  1. डिजिटल कार्यक्रप-वित्तीय साक्षरता फैलाने हेतु नाबार्ड ने व्यावसापिक बैंकों, सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय तक चलाने के लिए 321.00 लाख की संचयी सहायता मंजूर की गई है।

  2. संयोगीकरण मुद्दों का समाधान-राज्य के संयोगीकरण व्यवस्था को सुलझाने हेतु सौर ऊर्जा चालित चौ-सैट/गैर सौर ऊर्जा वी-सैट की व्यवस्था केपेक्स व ओपेक्स मॉडलों पर अमल में लायी गई है। इन व्यवस्थाओं हेतु नाबार्ड ने एस.बी.आई., पी.एन.बी., युको बैंक एवं एच.पी. जी.ची, को 247 उप-सेवा क्षेत्रों हेतु 53556 लाख मंजूर किये हैं।

  3.  ऑडियो जिंगल्स के माध्यम से वित्तीय साक्षरता-हिमाचल प्रदेश में ऑडियो जिंगल्स के प्रसारण के द्वारा वित्तीय साक्षरता फैलाने हेतु नाबाई हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय ने विग,एफ.एम. एवं रेडियो मिची आदि का संचयी रूप में 20.00 लाख मजूर किये हैं।

  4.  बैंक सखी मॉडल-नाबार्ड ने 50 बैंक सखी परियोजना हेतु हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक, मण्डी को 14.50 लाख मंजूर किये हैं, जिसके द्वारा स्वयं सहायता समूह के मुखिया एवं सदस्य, बैंकिंग अभिकर्ता के रूप में कार्य करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय साक्षरता फैलाने में सहायता करेंगे।


.गैर नकद लेन-देन को बढ़ावा-


उत्पादकों द्वारा स्थापित पंजीकृत उत्पादक संगठनों अर्थात् उत्पादक कंपनी. उत्पादक सहकारी संस्थाओं, पंजीकृत किसान महासंघों, परस्पर सहायता प्राप्त सहकारी समितियों, औद्योगिक सहकारी समितियों, अन्य पंजीकृत महासंघों पैक्स, आदि को सहयोग और सहायता देना है।


 पैक्स को बहुउद्देशीय गतिविधियाँ करने के लिए वित्तीय सहायता-पैक्स को अपने सदस्यों को और अधिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए सक्षम बनाने हेतु और अपने लिए आय उत्पन करले और पैक्स को बहु-उद्देशीय सेवा केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए एक पहल की गई है ताकि पैक्स अपने सदस्यों को सहायक सेवाएँ प्रदान करने और अतिरिक्त व्यापार करने और अपनी गतिविधियों में विविधता लाने में सक्षम हो सके। वर्ष 2017-18 में (31.12.2017) तक नाबार्ड द्वारा 7.20 लाख की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई है।


संघों को वित्तीय सहायता-कृषि उत्पादों के विपणन और अन्य कृषि गतिविधियों में विपणन महासंघों सहकारी संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए विपणन महासंघा सहकारी संस्थाओं के लिए अलग क्रेडिट लाइन अर्थात् संघ को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाई गई है ताकि कृषि उत्पादों के विपणना सगठन इस योजना के तहत वित्तीय सहायता का लाभ उठान के लिए पात्र हैं। वित्तीय सहायता, लघु अवधि के कर्ज के रूपमन्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) योजना के तहत फसल की खरीद के लिए और किसानों को बीज की आपूर्ति. उर्वरक कीटनाशक पौध संरक्षण आणि कापर्णन उपलब्ध होगी और लंबी अवधि के कर्ज के रूप में छटाई और श्रेणीकरण, प्राथमिक प्रसंस्करण, विपणन आदि सहित फसल एकत्र प्रबन्धन के लिए उपलब्ध होगी। इन संघो सहकारी संस्थाओं को कृषि सलाहकार सेवाएँ और ई-कृषि विपणन के माध्यम से बाजार की जानकारी प्रदान करने के लिए भो सहयोग दिया जाएगा।


सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता -नाबार्ड पारम्परिक रूप से जिला सहकारी बैंकों को राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से पुनर्वित्त सहायता प्रदान करता है। व्यक्तिगत उधारकर्ताओं और सम्बन्धित प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (पैक्स) की कार्यशील पूंजी और खेत परिसम्पत्ति व रखरखाव जरूरतों को पूरा करने हेतु अल्पकालिक बहु-उद्देशीय ऋण सीधे ही सी.सी.बी. को उपलब्ध करवाने के लिए नाबार्ड ने एक अल्पकालिक बहु-उद्देशय ऋण उत्पाद डिजाइन किया है। वर्ष 2017-18 में कांगड़ा सी.सी.बी. को 150.00 करोड़ नकद ऋण सीमा मंजूर की गई।


सरकारी प्रायोजित योजनाएँ-बेहतर मवेशी और दूध प्रबन्धन द्वारा राज्य में स्वयं सहायता समूहों के सदस्य और ग्रामीण लोगों के लिए सतत् रोजगार के अवसर प्रदान करने, उनकी आय के स्तर को बढ़ाने और दूध उत्पादन में भी वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार की डी.ई.डी.एस. योजना को शुरू किया गया था। वर्ष 2017-18 के दौरान 31.12.2017 तक इसके अंतर्गत् 294 लाभार्थियों को 297.23 लाख का अनुदान जारी किया गया है।

• इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा प्रायोजित तीन अन्य योजनाएँ अर्थात् एग्रीक्लिनिक और कृषि व्यापार केन्द्र योजना' राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना

के तहत वाणिज्यिक जैविक आदान उत्पादन इकाइयों के लिए योजना तथा राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना राज्य में संचालित की जा रही है जिनके लिए नाबार्ड के माध्यम से अनुदान उपलब्ध करवाया जाना है।


 


संस्थागत विकास- नाबार्ड क्षमता निर्माण और बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए सहकारी क्रेडिट संरचना (सीसीएस) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी

के बहतर उपयोग के लिए सहायता प्रदान करता है। नाबाई ने एक विशेष और समर्पित निधि स्थापित की है जिसे सहकारी विकास निधि कहते हैं (सीडीएफ) इस निधि से राज्य सहकारी बैंक के प्रशिक्षण संस्थान (ए.सी.एस.टी.आई. शिमला), जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएससीएस) को सहायता प्रदान की जाती है। वर्ष 2016-17 में राज्य की सहकारी समितियों के विकास के लिए कुल 43,40 लाख की राशि मंजूर की गई।


 वित्तीय सहायता-

नाबार्ड सॉफ्टकोब के तहत विभिन्न सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई) को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है ताकि उनको प्रशिक्षण क्षमता में सहायता मिल सके। वर्ष 2016-17 के दौरान, नाबार्ड ने 31.80 लाख सहकारी ऋण संस्थानों के कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक (एच.पी.एस.सी.बी.) द्वारा स्थापित कृषि सहकारी स्टाफ प्रशिक्षण संस्थान (ए.सी.एस.टी.आई.) को दिए। इस वित्तीय सहायता से 27 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के द्वारा 747 कर्मियों को क्षमता निर्माण में मदद मिली। वर्ष 2017-18 के दौरान, ए.सी.एस. टी.आई. को सोफ्टकोब के तहत 10.12 लाख का वित्तीय समर्थन 31.12.2017 तक दिया गया।

(ख) 3.00 लाख की राशि बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 04 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) को अनुदान के रूप में प्रदान किए गए। अलमारी, नकद सेफ, कंप्यूटर और अन्य फर्नीचर वस्तुओं के लिए दिए गए। नाबार्ड द्वारा प्रदान की गई सहायता ने पीएसीएस को अपनी छवि में सुधार करने और अपने सदस्यों को बेहतर सेवा सुनिश्चित करने में मदद की।

(ग) 0.60 लाख की सहायता सूचना प्रौद्योगिकी के उन्नयन और बैंक में हेल्पडेस्क की स्थापना के लिए जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक, सोलन को

स्वीकृति की गई थी। इस आधारभूत संरचना ने बैंक को परिचालन संबंधी मुद्दों में सहायता की और उन्हें तुरंत सुलझाने में मदद की।


हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के लिए नाबार्ड की पहल-राष्ट्रीय क्रियान्वयन इकाई (एन.आई.ई.) ने अनुकूल कोष (ए.एफ.) हरित जलवायु कोष(जी.सी.एफ.)  के कार्यन्वयन हेतु जोकि संयुक्त राष्ट्र के रूपरेखा सम्मेलन जलवायु परिवर्तन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के अनुसार पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत् गठित है, के लिए नाबार्ड को नामित किया गया है।


• पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग जोकि कार्यान्वयन इकाई है के द्वारा सिरमौर जिले में जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तथा हिमाचल प्रदेश की सूखा प्रवृत्त जिले में कृषि निर्भर समुदायों की निरंतर आजीविका पर एक परियोजना की तैयारी एवं विकास नाबार्ड के प्रयासों द्वारा हुआ है। जलवायु, परिवर्तन के लिए गठित राष्ट्रीय संचालन समिति पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्रालय द्वारा परियोजना को शुरू करने के लिए 20.00 करोड़ की वित्तीय सहायता की स्वीकृति दी गई है। नाबार्ड द्वारा 31 दिसम्बर, 2017 तक इस मद में 3.30 करोड़ की राशि जारी की गई है।




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