Himachal Pradesh कला, चित्रकला एवं कला संग्रहालय

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 Himachal Pradesh कला

कला, चित्रकला एवं कला संग्रहालय


संग्रहालय

. भूरी सिंह संग्रहालय- यह चम्बा में स्थित है। इसकी स्थापना राजा भूरी सिंह ने की थी। इस संग्रहालय में काँगड़ा और बसौली शैली की कलाकृतियाँ रखी गई हैं। इनमें राधा-कृष्ण प्रसंगों पर कृतियाँ उपलब्ध हैं। इसकी स्थापना 1908 ई. में की गई थी।


नग्गर आर्ट गैलरी- यह कुल्लू जिले के नग्गर में स्थित है। इसकी स्थापना निकोलस रोरिक ने की थी। इसे रोरिक आर्ट गैलरी कहा जाता है। वर्ष 2012 में निकोलस रोरिक आर्ट कॉलेज की स्थापना की गई।


• अंद्रेटा आर्ट गैलरी- यह काँगड़ा जिले के अन्द्रेटा में स्थित है। यहाँ शोभा सिंह की अनेक कृतियाँ रखी गई हैं। इसे शोभा सिंह आर्ट गैलरी के नाम से जाना जाता है। इसमें उमर खय्याम, सोहनी महिवाल की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। इसे नौराह रिचर्ड्स (शोभा सिंह की पत्नी) ने स्थापित किया। वर्ष 2012 में इस आर्ट गैलरी को संग्रहालय में बदला गया है।


स्टेट जयम- यह शिमला में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1974 ई. में की गई थी।


काँगड़ा कला संग्रहालय- यह धर्मशाला में स्थित है। इसकी स्थापना 1991 ई. में हुई है।


 जनजातीय संग्रहालय- यह केलांग में स्थित है। इसकी स्थापना 2006 ई. में हुई है।


चित्रकला -हिमाचल में सबसे पहले गुलेर कलम का नाम आता है। यहीं से चित्रकला के अन्य घराने जैसे “काँगड़ा कलम", "चम्बा कलम", "मण्डी कलम" और कुल्लू कलम का विकास हुआ। बाद में काँगड़ा कलम अत्यधिक विकसित और प्रसिद्ध हो गई जिससे पहाड़ी चित्रकला को काँगड़ा कलम कहा जाने लगा।



 भित्तिचित्र -चम्बा में 16वीं शताब्दी में भित्ति चित्रों का उदय हुआ। विवाह के अवसर पर दीवारों पर चित्र बनाने की विशेष परम्परा रही है जिसे बंगद्वारी कहा जाता है। चम्बा के रंगमहल भित्ति चित्र शैली का अद्भुत नमूना है जिसे राजा उम्मेद सिंह (1748-1764) ने शुरू किया। मण्डी के राजा सूरजसेन का दमदमा महल भित्तिचित्र का श्रेष्ठ उदाहरण है।


अन्य कलमें और कलाकार- नूरपुर के गोलू सिरमौर के अंगद, कुल्लू के भगवान और संजू अन्य प्रमुख चित्रकार थे । कुल्लू राजा मानसिंह के समय रामायण पर चित्रकला बनाई गई। कुल्लू में राजा जगत सिंह के कार्यकाल में पहाड़ी लघु चित्रकला आरंभ हुई। सुकेत रियासत की राजधानी सुंदरनगर में पहाड़ी चित्रकला राजा विक्रम सेन के शासनकाल पल्लवित हुई। काँगड़ा के राजा अनिरूद्ध चंद ने बाघल की राजधानी अर्की में अर्की कलम का विकास किया। अर्की के दीवानखाना की दीवारों पर भित्ति चित्रों का कार्य राजा किशन सिंह के कार्यकाल 





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